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Fox nut

मखाने की खेती करने पर मिल रही 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी : नए बीजों से हो रहा दोगुना उत्पादन

मखाने की खेती करने पर मिल रही 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी : नए बीजों से हो रहा दोगुना उत्पादन

मखाना (Fox nuts) एक सर्व आहार है, जिसका उपयोग मिठाई की दुकान से लेकर उपवास में, सब्जियों में, खीर में, नमकीन में और कई तरह के खाद्य पदार्थों में जमकर किया जाता है। इसका सेवन किडनी के साथ-साथ हृदय के लिए बेहद फायदेमंद है।

विश्व में मखाने का सर्वाधिक उत्पादन वाला देश

भारत के साथ-साथ पिछले कुछ सालों से इस खाद्य पदार्थ की विदेशों में भी मांग बढ़ी है। इसलिए भारत मखाना का एक प्रमुख निर्यातक बनकर उभरा है। दुनिया भर में उत्पादित होने वाले मखाने का 90 प्रतिशत उत्पादन भारत में होता है। इसकी खेती भारत में बिहार में सबसे ज्यादा होती है, इसलिए बिहार सरकार मखाना किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए इसके उत्पादन में बढ़ोत्तरी के लिए प्रयासरत है। इसके तहत बिहार सरकार के कृषि विभाग के अंतर्गत उद्यान निदेशालय ने एक योजना प्रारम्भ की है जो मखाना किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इसके तहत निदेशालय ने किसानों को मखाना के दो तरह से बीज उपलब्ध करवाए हैं, जिनसे मखाना किसान अपने उत्पादन में दोगुने तक की बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। इसके साथ ही बिहार सरकार मखाना की खेती करने पर किसानों को 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी देने के लिए तैयार है।

मखाने का उत्पादन बढ़ाने के लिए इन बीजों का करें प्रयोग

बिहार सरकार ने मखाने के उत्पादन को बढ़ाने के लिए जो योजनाएं शुरू की हैं उनमें से एक है बीज वितरण योजना। इसके तहत बिहार सरकार मखाना किसानों को मखाने के दो उन्नत बीज उपलब्ध करवा रही है, जिनकी किस्मों का नाम बौर मखाना 1 और स्वर्ण वैदेही प्रभेद है। सरकार के अनुसार, यदि किसान मखाना उत्पादन में इन दोनों किस्मों का उपयोग करते हैं, तो उत्पादन में 90 से लेकर 100 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी की जा सकती है। बिहार सरकार के अंतर्गत आने वाले उद्यान निदेशालय ने बताया है कि सबौर मखाना 1 किस्म के बीज किसान भाई भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय पूर्णिया (Bhola Paswan Shastri Agricultural College, Purnea) से प्राप्त कर सकते हैं। जबकि दूसरी किस्म स्वर्ण वैदेही प्रभेद किस्म के बीज किसान भाई मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा से प्राप्त कर सकते हैं। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=dvDAN5o0vbA&t=74s[/embed]

मखाने का दोगुना हो जाएगा उत्पादन

बिहार कृषि विभाग के अंतर्गत आने वाले कृषि निदेशालय ने बताया कि मौजूदा बीजों के उपयोग से वर्तमान में किसान भाई एक हैक्टेयर में 16 क्विंटल मखाने का उत्पादन करते हैं। लेकिन यदि उन्होंने इन दो नई किस्मों का प्रयोग किया तो किसान एक हैक्टेयर में 28 क्विंटल तक मखाना उत्पादन कर सकते हैं। ये बीज सामान्य बीजों की अपेक्षा किसानों को ज्यादा उत्पादन देने में सहायक होंगे, जिससे किसानों की आय में बढ़ोत्तरी होगी। क्योंकि मखाना की खेती में नाम मात्र की लागत ही आती है और इनके बीजों को प्रोसेसिंग करने में भी ज्यादा खर्चा नहीं आता, मखाना की खेती करके किसान अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। मखाने की खेती के बाद बचे हुए कंद एवं डंढल की भी बाजार में भारी मांग रहती है, जिसे बेचकर किसान अपने लिए अतिरिक्त आमदनी कर सकते हैं। इसलिए मखाने की खेती में उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ना भी तय है।
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किस प्रकार से मिलेगा किसानों को 75 प्रतिशत सब्सिडी का लाभ

बिहार सरकार ने मखाना उत्पादन को बढ़ाने के लिए कमर कस ली है। इसलिए इसके तहत बिहार सरकार इन दो किस्मों के बीजों का उपयोग करने वाले किसानों को 75 प्रतिशत तक की सब्सिडी का लाभ देने जा रही है। बिहार सरकार के उद्यान निदेशालय ने अनुसार एक हैक्टेयर जमीन में मखाने की खेती करने में लगभग 97,000 रुपये की लागत आती है, जिसके बदले में सरकार 72,750 रुपये सब्सिडी के तौर पर वहन करने के लिए तैयार है। यह सब्सिडी किसान बेहद आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

मखाने की खेती में सब्सिडी प्राप्त करने के लिए किसान कैसे करें आवेदन

मखाने की खेती में अगर किसान सरकारी सब्सिडी प्राप्त करना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन तिथि 5 सितम्बर से शुरू हो रही है तथा आखिरी तिथि 20 सितम्बर है। इसके लिए किसान बिहार सरकार की किसान उद्यान विभाग की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और वहां पर अपना आवेदन ऑनलाइन भरें। ऑनलाइन आवेदन भरते समय आवेदक अपने साथ आधार कार्ड, आवेदक के भूमि की खतौनी, बैंकपास बुक, मोबाइल नंबर, पैन कार्ड, फोटो इत्यादि जरूर रखें। ऑनलाइन आवेदन भरते समय इन दस्तावेजों की जरुरत पड़ सकती है।

बिहार के किन जिलों के किसानों को मिलेगा सब्सिडी का लाभ

बिहार सरकार ने मखाना की खेती के लिए राज्य में 8 जिलों को चिन्हित किया है। उसमें किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, पश्चिम चम्पारण, दरभंगा, अररिया, सुपौल और सहरसा को सम्मिलित किया गया है। जिसमें मखाने की खेती के लिए पहले से ही प्रबंधन एवं व्यस्था शुरू की जा चुकी है। राज्य में सिर्फ इन जिलों के किसानों को ही अच्छी क्वालिटी के बीज मखाना उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से वितरित किये जाएंगे। इसके साथ ही इन्हीं 8 जिलों के किसानों को ही मखाना की खेती में सब्सिडी का लाभ दिया जाएगा। अन्य जिलों के किसानों को यह सरकारी लाभ नहीं दिया जाएगा।
मखाना की खेती करके किसान हो सकते हैं मालामाल मिल रहा है 75% सब्सिडी

मखाना की खेती करके किसान हो सकते हैं मालामाल मिल रहा है 75% सब्सिडी

मखाना (Fox nuts) की खेती करने के लिए बिहार पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, क्योंकि पूरी दुनिया में मखाने का 90% उत्पादन सिर्फ बिहार में होता है। बिहार सरकार मखाने की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है, आप अगर मखाने की खेती करना चाहते हैं तो इन योजनाओं का लाभ लेकर आप मखाने की खेती कर बेहतर मुनाफा अर्जित कर सकते है। बिहार में सबसे ज्यादा मखाने की खेती मधुबनी, दरभंगा, सुपौल, सहरसा, पूर्णिया और कटिहार जिलों में की जाती है। यहां के किसान मखाने की खेती करके बढ़िया मुनाफा अर्जित करते हैं। बिहार सरकार मखाने की खेती को बढ़ावा देने के लिए व्यापक पैमाने पर शानदार प्रयास कर रही है और किसानों को प्रेरित भी कर रही है, जिससे किसान मखाने की खेती में पहले से ज्यादा रूचि ले रहे हैं।


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कुछ समय पहले मिथिलांचल की मखाना को जियो टैग मिला था। इसके बाद से राज्य सरकार उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बहुत जोर दे रही है। राज्य सरकार के द्वारा मखाना विकास योजना भी चलाई गई है, जिसके अंतर्गत मखाना उपजाने वाले किसानों को 75% की सब्सिडी दी जा रही है। मखाना उपजाने के लिए 75 % सब्सिडी का राज्य सरकार के द्वारा दिए जाने से किसानों को आर्थिक बल और सहयोग मिल रहा है, जिससे किसान मखाने की खेती कर बंपर लाभ कमा रहे है। अगर आप भी मखाने की खेती कर अपने बिजनेस को बढ़ावा देना चाहते हैं, तो इस योजना का लाभ ले सकते है। इस योजना का लाभ ले करके आप अपना खुद का एग्री बिजनेस भी शुरू कर सकते हैं। बिहार के किसान मखाने की खेती के साथ-साथ फूड प्रोसेसिंग भी कर रहे हैं, जिससे किसानों को बंपर फायदा हो रहा है और किसान खुश नजर आ रहे हैं।

क्या है मखाना विकास योजना

बिहार कृषि विभाग के द्वारा मखाने की क्वालिटी प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए मखाना विकास योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के अंतर्गत मखाने के उच्चतम क्वालिटी के बीजों का उत्पादन और क्षमता के विकास करने पर जोर दिया जा रहा है। मुख्य तौर पर इस योजना का लाभ लेने के लिए और किसानों को जागरूक करने के लिए विशेष तौर पर कटिहार, दरभंगा, सुपौल, किशनगंज, पूर्णिया, सहरसा,अररिया,पश्चिमी चंपारण मधेपुरा, सीतामढ़ी और मधुबनी को कवर किया जा रहा है। अगर आप भी इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं और मखाने की खेती कर 75% की सब्सिडी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप बिहार सरकार के कृषि विभाग के ऑफिशियल पोर्टल state.bihar.gov.in/krishi/ पर जाकर इस योजना के बारे में विशेष जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। किसानों के आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए सरकार प्रयासरत है और मखाने की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार लोगों को जागरुक भी कर रही है। [embed]https://youtu.be/dvDAN5o0vbA[/embed] साबौर मखाना-1 और स्वर्ण वैदेही प्रभेद मखाने को उच्चतम क्वालिटी का मखाना माना जाता है। राज्य सरकार अब इन्हीं दो उच्चतम क्वालिटी के मखाने की खेती को बढ़ावा देने के लिए लक्ष्य निर्धारित किया है। बिहार राज्य सरकार के मापदंडों के अनुसार इन दोनों किस्मों के मखाने की खेती करने के लिए ₹97000 की अधिकतम लागत बताई गई है। जिसमें 75 प्रतिशत सब्सिडी राज्य सरकार खुद दे रही है, यानी ₹72750 तक का अनुदान इन दोनों किस्मों के मखाने की खेती करने के लिए दिया जा रहा है। कृषि विभाग के द्वारा गाइडलाइंस में साफ तौर पर कहा गया है कि अगर आप यह सब्सिडी की राशि प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप अपने जिले के सहायक निदेशक उद्यान से संपर्क कर सकते हैं।


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खेती के साथ-साथ किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी राज्य सरकार के द्वारा कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति योजना भी चलाई जा रही है। इस योजना के तहत मखाने की प्रोसेसिंग करने के लिए यानी उद्योग लगाने के लिए किसान और व्यक्तिगत निवेशकों को 15% की सब्सिडी मिल रही है। मखाना प्रोसेसिंग यूनिट बनाने के लिए किसान उत्पादक संगठन (FPO/FPC) से भी करीब २५% के अनुदान का प्रावधान पहले से ही है। खेती के साथ-साथ किसान को एग्री बिजनेस से जोड़ने के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है। किसानों को खेती करने के साथ-साथ उन्हें एग्रीबिजनेस से जोड़ने और आत्मनिर्भर बनाने को लेकर सरकार किसानों को लगतार प्रेरित कर रही है। बिहार सरकार किसानों के भविष्य को संवारने को लेकर संकल्पित है, पिछले दिनों में जिस तरह से कृषि विभाग के द्वारा एग्रीकल्चर कॉलेज खोलने को लेकर घोषणा करना और योजनाओं को धरातल पर लागू कराने के लिए जागरूकता अभियान चलाना। साथ ही साथ कृषि विज्ञान केंद्र में प्रशिक्षण देने से साफ जाहिर होता है, कि आने वाले समय में किसान आत्मनिर्भर बनेंगे और बेहतर मुनाफा अर्जित कर के खुशहाल जिंदगी जी सकेंगे।
वैज्ञानिकों ने विकसित की मखाने की नई किस्म, इसकी बहुत सारी विशेषताएं हैं

वैज्ञानिकों ने विकसित की मखाने की नई किस्म, इसकी बहुत सारी विशेषताएं हैं

भारत के बिहार राज्य में मखाना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा मखाने की नवीन किस्म सुपर सेलेक्शन वन विकसित कर दी है। इस किस्म में तापमान ज्यादा झेलने की सामर्थ है। साथ ही, उत्पादन ज्यादा होने की वजह से किसानों की आय में वृद्धि देखने को मिलेगी। भारत में किसान मक्का, गेहूं, धान की कृषि पारंपरिक तरीके से करते हैं। किसान इस प्रकार की कृषि करके अच्छा मुनाफा कमाते हैं। हालाँकि, बहुत बार देखा गया है, कि किसानों को कीट, रोग, बाढ़, बारिश, सूखा इत्यादि प्राकृतिक आपदाएं हानि पहुँचाती हैं। इसके अतिरिक्त बहुत सारे किसान भाई ऐसे हैं, जो कि पारपंरिक खेती की अपेक्षा आधुनिक तकनीक एवं विधि से बेहतरीन आय अर्जित कर सकते हैं। वहीं, देश के वैज्ञानिक भी विभिन्न फसलों की ऐसी किस्म विकसित करने में लगे हुए हैं, जिनसे उत्पादन करके किसान बेहतर उत्पादन ले पाएं। फिलहाल, मखाने की भी ऐसी ही किस्म को विकसित कर दिया गया है।

बिहार में मखाने की नवीन किस्म इजात की गई है

मीडिया खबरों की मानें, तो
बिहार के मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा द्वारा मखाने की नवीन किस्म विकसित कर दी गई हैं। वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई इस किस्म का नाम सुपर सेलेक्शन वन रखा गया है। इस किस्म को विकसित करने के लिए वैज्ञानिक 7 वर्ष से जुटे हुए थे। फलस्वरूप कृषि वैज्ञानिकों ने इसमें सफलता हांसिल कर ली है। वैज्ञानिकों को यह आशा है, कि नवीन किस्म से किसान भाई बेहतरीन उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

इस किस्म में काफी विशेषताएं हैं

वैज्ञानिकों का कहना है, नवीन मखाने की जो किस्म इजात हुई है। इसकी बहुत सारी विशेषताएँ हैं। ज्यादा तापमान की स्थिति में मखाना झुलस जाता था। परंतु, इस किस्म के अंदर अधिक तापमान वहन करने की क्षमता है। अब तक मखाने का उत्पादन प्राप्त करने हेतु बीज की ज्यादा रोपाई की जाती थी। परंतु, इस किस्म में 40 फीसद बीज कम रोपे जाएंगे। इसकी वजह से पैदावार की क्षमता में भी 25 फीसद की वृद्धि देखी जाएगी। साथ ही, मखाने की नवीन किस्म विटामिन, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व प्रचूर मात्रा में पाई जाती है। यह किस्म अन्य किस्मों की तुलना में अधिक प्रतिरोधक क्षमता रखती है।
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किसान इस किस्म से उत्पादन कर अच्छा खासा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं

खुशी की यह बात है, कि मखाने की नवीन किस्म सुपर सेलेक्शन वन का वैज्ञानिकों ने सफल परीक्षण कर लिया है। वैज्ञानिकों ने इस किस्म को कृषकों को उपयोग कराने के संदर्भ में भी सैद्धांतिक रूप पर भी सहमति निर्मित हुई है। खेतों में किसानों से इसका परीक्षण भी कराया गया है। अब विभागीय स्तर से स्वीकृत हेतु इसको भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र, पूर्वी क्षेत्र पटना पहुँचाया गया है। सारी चीजें सटीक रहीं तब किसान भाई भी अपने खेतों के अंदर भी इस किस्म की बिजाई कर पाएँगे।
जानें मखाने की खेती की विस्तृत जानकारी

जानें मखाने की खेती की विस्तृत जानकारी

बिहार राज्य में सर्वाधिक मखाने का उत्पादन होता है। बतादें, कि बिहार में 80 प्रतिशत मखाने का उत्पादन किया जाता है। मखाने की खेती करने के लिए चिकनी दोमट मिट्टी सर्वाधिक अनुकूल मानी जाती है। साथ ही, मखाने का सेवन करने से स्वास्थ्य भी काफी अच्छा होता है। इससे शरीर में डायबिटीज से कोलेस्ट्रॉल जैसे रोगों को काबू में किया है। हड्डियों को मजबूत करने से लेकर वजन कम करने तक में यह बेहद सहायक साबित होता है। भारत के अकेले बिहार राज्य में मखाने की 80 फीसदी खेती की जाती है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह बिहार की जलवायु मखाने की खेती के लिए सर्वाधिक अनुकूल होती है। इसके अतिरिक्त इसका उत्पादन मेघालय, उड़ीसा और असम में भी प्रचूर मात्रा में उत्पादन किया जाता है। आइये मखाने की खेती के तरीके के बारे में जानते हैं।

मखाने की खेती करने का सही तरीके

मिट्टी कैसी हो

मखाने का बेहतरीन उत्पादन करने के लिए चिकनी दोमट मिट्टी सर्वाधिक अनुकूल मानी जाती है। तालाब, जलाशय एवं निचली भूमि पर जहां जल जमाव 4-6 फीट के करीब तक हो, वह स्थान मखाने का उत्पादन करने हेतु काफी अच्छी होती है।

बुवाई कैसे करें

मखाने का बीजारोपण करने के दौरान मखाने के बीजों को तालाब में छिड़का जाता है। वहीं, बीज डालने के 35 से 40 दिन उपरांत जल के अंदर यह उगना चालू हो जाता है। मात्र दो से ढ़ाई माह के मध्य ही इसके पौधे जल के तल पर दिखने लगते हैं। ये भी पढ़े: वैज्ञानिकों ने विकसित की मखाने की नई किस्म, इसकी बहुत सारी विशेषताएं हैं

रोपाई करने की क्या विधि हो

इस विधि के जरिए मखाने की खेती करने के लिए मखाने के स्वस्थ एवं नवजात पौधों की बुवाई मार्च से अप्रैल माह के मध्य किया जाता है। बुवाई के 2 माह उपरांत बैंगनी रंग के फूल पौधों पर दिखाई देने लगते हैं। साथ ही, 35 से 40 दिन बाद इसके फल पूर्णतय पक जाते हैं। वहीं, गूदेदार होकर के फटने भी लग जाते हैं।

नर्सरी कैसे तैयार की जाए

बतादें कि मखाना एक जलीय पौधा है। नर्सरी तैयार करने से पूर्व खेत की 2-3 बार गहरी तरह जुताई करनी चाहिए। साथ ही, पौधों के समुचित विकास के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश को एक अनुमानित मात्रा में मृदा में मिश्रित करें। खेत में 2 फीट ऊंचा बांध बना कर इसमें 1.5 फीट तक जल भर दें। दिसंबर माह में इसमें मखाने के बीज डाल कर छोड़ दें। यह पौधे मार्च माह के समापन तक बीजारोपण हेतु तैयार हो जाते हैं।

कटाई कब की जानी चाहिए

मखाने की कटाई सिंतबर एवं अक्टूबर के माह के मध्य की जाती है। तालाब के जल के नीचे बैठ मखाने की कटाई करी जाती है। बाकी बचे एक तिहाई बीजों को आगामी अंकुरित होने के लिए छोड़ दिया जाता है।
मखाने की खेती करने पर यह राज्य दे रहा है फ्री में ₹72000, जल्द करें आवेदन

मखाने की खेती करने पर यह राज्य दे रहा है फ्री में ₹72000, जल्द करें आवेदन

नमकीन हो या फिर व्रत का आहार या फिर आपको ड्राई फ्रूट से बने हुए कोई लड्डू बनाने हो,  कोई भी देश मखाने के बिना अधूरी रह जाती हैं. आज हम इसी से जुड़ी हुई एक खुशखबरी आपके लिए लेकर आए हैं. अगर आप बिहार के किसान हैं और मखाने की खेती करते हैं तो बिहार सरकार की तरफ से आपके लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी है. बिहार सरकार ने मखाने की खेती करने वाले किसानों के लिए एक योजना बनाई है जिसका नाम मखाना विकास योजना रखा गया है.  इस योजना के तहत मखाने की इकाई लगाने के लिए किसानों को लगभग 75% तक की सब्सिडी मुहैया करवाई जाएगी. इस योजना की सबसे खास बात यह है कि बिहार सरकार ने मखाना के बीच पर पर इकाई लागत लगभग 97,000 रुपये प्रति हेक्टेयर तय की है और इस तय की गई राशि के ऊपर मखाना उगाने वाले किसानों को 75 फ़ीसदी सब्सिडी मिलेगी. सरल शब्दों में बात की जाए तो मखाना उगाने वाले किसानों को ₹72000 के लगभग पैसा अनुदान राशि में फ्री में दिया जाएगा. इसके अलावा किसान भाइयों के लिए एक और राय भी बिहार सरकार ने दी है कि यहां के किसान मखाना-1 एवं सवर्ण वैदेही प्रभेद का कमाल करते हुए अगर मखाने की खेती का उत्पादन करते हैं तो उनकी उत्पादकता में अच्छा-खासा इजाफा होने की संभावना है.

मखाने से बनने वाली खीर की जाती है बहुत ज्यादा पसंद

मखाने की फसल की ज्यादातर खेती भारत में बिहार राज्य में की जाती है. अगर आंकड़ों की बात की जाए तो पूरे विश्व भर का लगभग 80% मखाना अकेले बिहार राज्य के किसानों द्वारा उत्पादित किया जाता है. इसके अलावा मिथिलांचल में मखाने को जीआई टैग भी मिल चुका है जो इसकी कीमत को और बढ़ाता है. बिहार राज्य में अगर बात की जाए तो यहां के जले दरभंगा और मधुबनी में सबसे ज्यादा मखाने का उत्पादन किया जाता है. इसके अलावा अब बहुत से किसान चंपारण जिले में भी  मखाने की खेती करना शुरू कर चुके हैं. बिहार सरकार की योजना है कि मखाने के उत्पादन को पूरे बिहार राज्य में हरेक हिस्से में फैलाया जा सके और किसानों को इसकी खेती करने के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित किया जाए. ये भी पढ़े: जानें मखाने की खेती की विस्तृत जानकारी

मखाने को मिल चुका है जी आई टैग

मखाना कितना ज्यादा पौष्टिक होता है इसके बारे में तो बताने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है.  यह फाइबर से भरपूर होता है और इसमें बहुत से औषधीय गुण भी पाए जाते हैं. बहुत से लोग इसे स्नेक्स की तरह भी इस्तेमाल करते हैं और साथ ही बहुत सी जगह पर इसकी खीर बनाई जाती है जो बहुत ही लजीज होती है. इसके उत्पादन के आंकड़ों  के बारे में आई हुई एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार राज्य के मधुबनी और दरभंगा जिले में पूरे भारत का 70% मखाना प्रोडक्शन किया जाता है और इन दोनों ही जिलों में लगभग 120,00 टन मखाने का उत्पादन होता है. पूरे देश में लगभग 15 हजार हेक्टेयर में मखाने की फार्मिंग हो रही है. इसके अलावा पिछले साल  ही  मखाने को जीआई टैग दिया गया है जिसकी वजह से यह विश्व भर में प्रचलित हो गया है.